गुरू वंदना
painting: Priyal Pandey
गुरु जी मैं कैसे तुझे बताऊँ।
यह शीघ्र चरनन पर तेरे सारे सुख पा जाऊँ ।।
वाणी मुख से निकसत नाही आँख नहीं खुल पाये।
अबु प्रवाह वयन से होवे पल-पल हिचकी आये ।।
भाव हृदय में उमड़ पड़त है कैसे उन्हें दिखाऊँ।
गुरु जी मैं कैसे तुझे बताऊँ ।।
पूजा अर्चन आरती वन्दन कछू नहीं मोहि आवे ।
चरन तुम्हारे आन पड़ा हूँ करो वही जो भावे ।।
तुम सब कुछ हो जानन वाले कैसे सत्य तुझे छिपाऊँ।
गुरु जी मैं कैसे तुझे बताऊँ ।।
जीवन नैया जर-जर हो गई कैसे लगै किनारे ?
केवल आस तुझी से है अब मैं हूँ तेरे सहारे ।।
अब गुरु देव तुम्ही बतलाओ कहां पै इसे लगाऊँ ।
गुरु जी मैं कैसे तुझे बताऊँ।।